कुपोषण से बचाने के लिए पैसे की बजाय पौष्टिक आहार किट देने की मांग -विधायक पुष्पराजगढ़ फुंदेलाल सिंह मार्को
मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायक ने मांग की है कि आदिवासियों को कुपोषण से बचाने के लिए 1000 रुपये हर महीने देने की बजाय उन्हें पौष्टिक आहार की किट दी जाए
प्रदीप मिश्रा-8770089979
भोपाल/मध्य प्रदेश में आदिवासी वर्ग की विशेष पिछड़ी जनजातियों में बढ़ते कुपोषण को कम करने के लिए राज्य सरकार की 1,000 रुपये प्रतिमाह दिए जाने की योजना कारगर नहीं हो पा रही है। आदिवासी विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को ने आदिवासियों को नकद राशि के बजाय उतनी ही राशि का पौष्टिक आहार किट दिए जाने की मांग की है
राज्य की पूर्ववर्ती सरकार ने तीन पिछड़ी जनजातियों भारिया, बैगा और सहरिया में बढ़ते कुपोषण को कम करने के लिए 1000 रुपये प्रति माह आर्थिक सहायता दिए जाने की घोषणा की थी, इस पर अमल भी हुआ। बीते डेढ़ साल के दौरान इन परिवारों को यह राशि कई बार नहीं भी मिल पाई हैं
कांग्रेस विधायक ने कहा- पिछली सरकार ने की खानापूर्ति
अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से लगातार दूसरी बार निर्वाचित कांग्रेस विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को ने आईएएनएस से कहा, ‘बैगा, भारिया और सहरिया जनजातियों में कुपोषण एक बड़ी समस्या है। बड़ी तादाद में महिलाएं और बच्चे इस समस्या की गिरफ्त में होते हैं। इस वर्ग को कुपोषण से मुक्ति के लिए उन्हें बेहतर और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना आवश्यक है। पूर्ववर्ती सरकार ने खानापूर्ति के लिए योजना तो बना दी, मगर राशि संबंधित परिवारों के खाते में समय पर पहुंची ही नहीं, जिसके कारण इस वर्ग के परिवारों के खान-पान में सुधार नहीं आ पाया है
मार्को ने आगे कहा, ‘मुख्यमंत्री कमलनाथ अन्य वर्गों के साथ ही आदिवासियों के जीवन को खुशहाल बनाना चाहते हैं, लिहाजा इस योजना में भी सुधार आवश्यक है। अगर राज्य सरकार 1000 रुपये मासिक राशि देने के बजाय संबंधित परिवारों को हर माह क्षेत्र की जरूरत के मुताबिक, पौष्टिक आहार वाला किट वितरित करे तो कुपोषण को रोकना आसान होगा
सीएम कमलनाथ से मिलकर उठाएंगे मुद्दा
मार्को ने कहा कि वह मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलकर इस मुद्दे पर बात करेंगे और उनसे नकदी के बदले पौष्टिक आहर किट देने की व्यवस्था लागू करने का आग्रह करेंगे। बताते चलें कि पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने दिसंबर 2017 से विशेष पिछड़ी जनजातियों सहरिया, बैगा और भारिया के परिवारों को कुपोषण से मुक्ति के लिए 1000 रुपये प्रतिमाह आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया था सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासियों के बीच काम करने वाले मनीष राजपूत का कहना है, ‘भारिया, बैगा और सहरिया आदिवासियों की जनसंख्या लगभग 10 लाख है। इन आदिवासियों का जीवनस्तर अन्य से कहीं ज्यादा खराब है। इन परिवारों को धनराशि समय से नहीं मिल रही, वहीं सरकारी योजनाओं का लाभ भी उन्हें ठीक से नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनके जीवनस्तर में सुधार नहीं आ पा रहा है। संबंधित परिवारों के खातों में नगद राशि जमा करने से बेहतर होगा कि पौष्टिक आहार किट दिया जाए, ताकि उसका खान-पान में उपयोग हो सकें। नगद राशि तो दूसरे कामों पर खर्च हो जाती है।’ सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की विशेष तौर पर पिछड़ी इन तीन जनजातियों की लगभग 60 फीसदी महिलाएं और बच्चे कुपोषण का शिकार हैं