शंकराचार्य जी की प्रतिमा स्थापना देश और दुनिया के लिए होगी अद्भुत अनुभूति
अनेक संतों ने ओंकारेश्वर प्रकल्प को मुख्यमंत्री श्री चौहान की नेतृत्वकारी पहल माना
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जगदगुरू आदि शंकराचार्य जी की जयंती पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएँ दी हैं। प्रदेश में शंकराचार्य जी की जयंती एकात्मक पर्व के रूप में मनाई जा रही है। राज्य स्तरीय समारोह भोपाल में कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में हो रहा है। इसके लिए आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास ने आवश्यक तैयारियाँ पूर्ण कर ली हैं।
मध्यप्रदेश सरकार ने खण्डवा जिले में ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना का निर्णय लिया है। साथ ही यहाँ आदि शंकराचार्य जी की 108 फीट ऊँची बहु धातु की भव्य और विशाल प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यह प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ वननेस कहलाएगी। मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की प्रतिमा और पेडेस्टल कार्य के लिये 148 करोड़ 43 लाख 2 हजार रूपये की राशि की मंजूरी दी है। अद्वैत वेदांत संस्थान का कार्य विभिन्न चरणों में सम्पन्न करने की तैयारी है। विश्व के अनेक राष्ट्रों के पर्यटक और श्रद्धालु ओंकारेश्वर आएंगे और यह संस्थान महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में उभरकर आएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान का मत है कि आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैवत वेदांत संस्थान आचार्य शंकर के सम्पूर्ण जीवन दर्शन से परिचय कराते हुए भावी पीढ़ी के चरित्र-निर्माण, पर्यावरण-संरक्षण, सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन, विश्व-कल्याण और वसुधैव कुटुम्बकम् के एक वैश्विक केन्द्र के रूप में उभरेगा। विभिन्न मत-मतांतर, विद्वेष और वैमनस्य के भाव की समाप्ति का आधार अद्वैत वेदांत ही है। ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा की स्थापना देश और दुनिया के लिए एक अद्भुत अनुभूति होगी। निश्चित ही इस प्रकल्प की पूर्णता से मानवता के कल्याण और सद्भाव का एक नवीन और सर्व स्वीकार्य मार्ग प्रशस्त होगा।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने भोपाल में 8 जनवरी 2022 को मंत्रालय में आचार्य शंकर सांस्कृतिक न्यास के न्यासी मंडल की बैठक में कहा था कि स्टेच्यू ऑफ वननेस की स्थापना सिर्फ एक प्रतिमा की स्थापना का कार्य नहीं है, बल्कि जीवन में व्यवहारिक वेदांत कैसे उतारा जाए, इसका भी प्रकल्प है। न्यास की इस बैठक में न्यास के सदस्य स्वामी अवधेशानंद गिरि, स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, स्वामी चिदानन्दपुरी, स्वामी हरिब्रम्हेन्द्रानंद, श्री मुकुल कानिटकर, स्वामी मित्रानंद जी, श्री वी.आर. गौरीशंकर और स्वामी वेदतत्वानंद आदि शामिल हुए थे। चिन्मय मिशन के स्वामी स्वरूपानंद जी ने आस्ट्रेलिया और विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी तमिललाडु से निवेदिता दीदी ने वर्चुअल भागीदारी की थी। अनेक प्रतिभागियों ने ओंकारेश्वर प्रकल्प को मुख्यमंत्री श्री चौहान की महत्वपूर्ण और नेतृत्वकारी पहल माना है।
न्यास की इस बैठक के बाद ओंकारेश्वर प्रकल्प से जुड़ी कार्य-प्रक्रियाओं में गति आई है। सर्वप्रथम नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान 9 फरवरी 2017 को आचार्य शंकर की प्रतिमा स्थापना की घोषणा की गई थी। इसके बाद एक मई 2017 को प्राकट्य पंचमी उत्सव मनाया गया। तत्पश्चात 19 दिसम्बर 2017 से 22 जनवरी 2018 तक एकात्म यात्रा और धातु संग्रहण अभियान भी संचालित किया गया था। मध्यप्रदेश के नागरिक भी इस प्रकल्प को पूरा करने के लिए उत्सुक हैं। इस सिलसिले में न्यास ने शंकर व्याख्यानमाला, प्रेरणा संवाद, चित्रकला कार्यशाला, प्रदर्शनी, शंकर संगीत, नाटक और अद्वैत उत्सव भी किया है। साथ ही शंकर फैलोशिप, अद्वैत जागरण शिविर और संगोष्ठी के कार्यक्रम भी हुए हैं।