दुबई: कुछ लोग महान पैदा होते हैं, कुछ महानता हासिल करते हैं और कुछ इसके लिए बेइंतहा प्यासे रहते हैं. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान एरॉन फिंच तीसरी श्रेणी में आते हैं. अंग्रेजी के महान लेखक विलियम शेक्सपीयर की रचना ‘टुवेल्फ्थ नाइट’ का एक किरदार है मालवोलियो, और उस किरदार की बेहतरीन लाइनों में से एक है ‘महानता से मतो डर (वी नॉट अफ्रेड ऑफ ग्रेटनेस’. यह बात फिंच के नजरिए को पूरी तरह से साबित करती है. स्टीवन स्मिथ के प्रतिबंध के बाद ऑस्ट्रेलिया की वनडे टीम की कप्तानी संभालने वाले फिंच सिर्फ रन बनाने और टीम को आगे ले जाने में लगे हुए हैं. विश्व कप में वह लगातार रन बना रहे हैं. फिंच कहते हैं कि कप्तानी हार या जीत से कई ज्यादा है. फिंच ने इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए मैच से पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा था, “मैंने जब पहली बार कप्तानी की थी तब मैं काफी युवा था. मैंने आठ साल पहले मेलबर्न रेनेगेड्स से इसकी शुरुआत की थी और अब तक कर रहा हूं. तब से लेकर अब तक चीजें काफी बदली हैं.”