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पशुपालन मंत्री श्री पटेल द्वारा अफ्रीकन स्वाइन फीवर के विरूद्ध सर्तकता के निर्देश

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सूकर से मनुष्य या अन्य मवेशियों में नहीं फैलती यह घातक बीमारी

पशुपालन मंत्री श्री प्रेमसिंह पटेल ने विभागीय अधिकारियों को अफ्रीकन स्वाइन फीवर के विरूद्ध हर तरह से सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। श्री पटेल ने कहा जिले में या आस-पास के जिले में प्रकरण पाते ही भारत और राज्य शासन द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन कर नियंत्रित करने के उपाय करें। श्री पटेल ने कहा कि सूकर में पाई जाने वाली यह घातक बीमारी जूनोटिक होने के कारण मनुष्यों और अन्य पशुओं को प्रभावित नहीं करती है।

प्रदेश में रीवा, दमोह और टीकमगढ़ में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई है। संक्रमित क्षेत्रों में एक किलोमीटर की परिधि में सूकरों की कलिंग और पूर्ण ऐहतियात के साथ दफन करने और 10 किलोमीटर की परिधि की जानकारी मुख्यालय भेजने के निर्देश दिए गए हैं। स्थानीय प्रशासन की मदद से सूकर के आवागमन, उत्पाद और सूकर बिक्री को प्रतिबंधित किया गया है।

रोग नियंत्रण के लिये राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोग शाला में कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। इसमें सुबह 10 से शाम 6 बजे दूरभाष क्रमांक 0755-2767583 पर संपर्क किया जा सकता है।पारंपरिक स्वाइन फीवर से भिन्न है अफ्रीकन स्वाइन फीवर

मंत्री श्री पटेल ने कहा कि मिलत-जुलते लक्षणों के कारण पशु पालकों में भ्रम की स्थिति है कि पारंपरिक स्वाइन फीवर भी घातक है। इससे जाँच के साथ रोग नियंत्रण भी प्रभावित होता है। पारंपरिक स्वाइन फीवर में टीका उपलब्ध होने के कारण मृत्यु दर कम है और आसानी से नियंत्रित हो जाती है जबकि अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का वर्तमान में कोई उपचार नहीं है। बचाव ही रोकथाम एवं नियंत्रण का एकमात्र उपाय है।

क्र.बिन्दुअफ्रीकन स्वाइन फीवर(ASF)पारंपरिक स्वाइन फीवर (CSF)
1.विषाणुडीएनए विषाणुआरएनए विषाणु
2.संक्रमणप्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष संपर्कप्रत्यक्ष संपर्क
3.बीमारी का प्रकारअत्यंत घातककम घातक
4.मृत्यु दर90-100%लगभग 40%
5.मुख्य लक्षणतेज बुखार, चमड़ी पर लालिमा और साँस लेने में कठिनाई आदि।तेज बुखार, पाचन तंत्र में कठिनाई, दस्त आदि।
6.टीकाउपलब्ध नहीं है।उपलब्ध है।
7.मृत्युअत्यंत घातक स्थिति में बिना लक्षण के मृत्यु।लक्षण अवश्य मिलते हैं।