नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव की दुर्लभ प्रतिमा है. यह मंदिर इसलिए भी विख्यात है क्योंकि यहां एकमात्र प्रतिमा ऐसी है जहां भगवान शिव और पार्वती नाग को आसन बनाकर विराजित हैं. यह एक ऐसा नाग देवता का मंदिर है जो वर्ष भर में एक बार श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है. नाग पंचमी के अवसर पर 24 घंटे के लिए मंदिर के कपाट खोलने हैं. इसके पीछे काफी दिलचस्प और धार्मिक मान्यता जुड़ी हुई है. प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के गर्भ गृह में भगवान महाकाल विराजित हैं, जबकि भूतल पर भगवान ओकारेश्वर का मंदिर है. इसी तरह द्वितीय मंजिल पर भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव विराजित हैं. इस मंदिर को एक साल में केवल एक बार ही नाग पंचमी के अवसर पर शिव भक्तों के लिए खोला जाता है.
साल में केवल एक बार ही क्यों खुलता है यह मंदिर
नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर को लेकर प्राचीन कथाएं भी प्रचलित हैं. पंडित राम गुरु के मुताबिक तक्षक नाग ने भगवान शिव की काफी तपस्या की थी.इसके बाद भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर तक्षक नाग को दर्शन दिए. इस पर शिव परिवार विराजित हो गया. तक्षक भगवान शिव का भक्त होने की वजह से अभी भी उनकी तपस्या में लीन रहता है. तक्षक को अमरत्व का वरदान भी मिला था. भगवान भोलेनाथ की तपस्या में कोई विघ्न पैदा ना हो, इसके लिए साल भर में एक बार पट खोले जाते हैं. इसके अलावा वैज्ञानिक मान्यताएं यह भी है कि द्वितीय तल पर रोज श्रद्धालुओं के जाने की वजह से मंदिर की मजबूती पर भी असर पड़ सकता है,इसलिए इस मंदिर को साल में केवल एक बार ही खोला जाता है.