माघ मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका नाम ‘जया’ है । वह सब पापों को हरनेवाली उत्तम तिथि है । पवित्र होने के साथ ही पापों का नाश करनेवाली तथा मनुष्यों को भाग और मोक्ष प्रदान करनेवाली है । इतना ही नहीं , वह ब्रह्महत्या जैसे पाप तथा पिशाचत्व का भी विनाश करनेवाली है । इसका व्रत करने पर मनुष्यों को कभी प्रेतयोनि में नहीं जाना पड़ता
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 19 फरवरी को सुबह 8 बजकर 49 मिनट से शुरु होगी और 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इस हिसाब से 20 फरवरी को एकादशी का व्रत रखा जाएगा. जबकि व्रत रखने वाले लोग पारण 21 फरवरी को सुबह 06 बजकर 55 मिनट से 09 बजकर 11 मिनट तक कर सकते हैं. बता दें कि इस दिन आयुष्मान योग त्रिपुष्कर योग और रवि योग बन रहा है, इस लिहाज से माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि बेहद शुभ है.
इस दिन प्रातः काल उठकर दैनिक क्रिया कर्म से निवृत होने के बाद स्नान करके और साफ-सूथरे पीतांबरी पहन सकते हैं. इसके बाद केले के पेड़ में जल और चने के दाल अर्पित करते हैं. इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने बैठकर पूजा व्रत का संकल्प लें. इस दौरान भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए उन्हें पीले रंग के फूल अर्पित कर सकते हैं. साथ ही गाय के घी का दीपक जलाएं और पीला मिष्ठान्न अर्पित कर सकते हैं. साथ ही साथ आप विष्णु सहस्त्र नाम स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आपको काफी पुण्य फल प्राप्त हो सकता है