मौनी अमावस्या के साथ धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व जुड़ा है. यवैदिक ज्योतिष के अनुसार जब माघ के महीने में चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में एक साथ होते हैं, तब मौनी अमावस्या मनाते हैं. चंद्रमा और सूर्य दोनों ही ग्रहों की ऊर्जा के प्रभाव से इस दिन का महत्व अधिक हो जाता है. ज्योतिष में सूर्य को पिता और धर्म का कारक माना गया है, इसलिए मकर में सूर्य और चंद्र के एकत्र होने पर मौनी अमावस्या मनाई जाती है. यही वजह है कि इस दिन दान-पुण्य करने से कई गुना लाभ प्राप्त होता है.
हिंदू धर्म माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। माघ अमावस्या के दिन स्नान-दान के कार्यों का बड़ा महत्व है। इस साल 9 फरवरी 2024 को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत भी रखा जाता है।
इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था। इसलिए इसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन पुण्य नदियों में स्नान करने से तन और मन दोनों शुद्ध होते हैं। साथ ही ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप मुक्त हो जाते हैं|धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन पितर गण धरती पर आते हैं. उस दिन स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है. मौनी अमावस्या पर पितरों को भी खुश करते हैं क्योंकि हर अमावस्या के दिन पितर पितृ लोक से धरती पर आते हैं
मौनी अमावस्या पर स्त्रियों को सौभाग्य बढ़ाने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इस दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा जरूर करनी चाहिए. इस दिन नर्मदा, कावेरी, गंगा, सिंधु सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से कई दोषों का निवारण होता है.
मौनी अमावस्या पर जरूरतमंदों को दान देना, वंचितों की मदद करना और निस्वार्थ कार्य करना शुभ माना जाता है। इस शुभ दिन पर पवित्र ग्रंथों और आध्यात्मिक साहित्य को पढ़ने से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु को प्रणाम करें। इस समय मन ही मन उनको प्रणाम करें। मौनी अमावस्या पर बोलने की मनाही होती है। अतः मौन व्रत धारण करें।
मौनी अमावस्या के दिन नहाते समय और नहाने से पहले तक कुछ न बोलें, मौन रहें. घर में कलह का माहौल न बनने दें. इस दिन झगड़े और विवादों से बचना चाहिए. इस दिन झूठ न बोलें और किसी को कड़वे वचन न कहें. इस दिन शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए और न ही तेल की मालिश करनी चाहिए.
मौनी अमावस्या का व्रत रखने वालों को किसी भी प्रकार का श्रृंगार नहीं करना चाहिए. इस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें और तामसिक भोजन का सेवन न करें. सुबह देर तक न सोएं और बिना नहाएं भोजन न करें. अमावस्या पर सूनसान जगहों, कब्रिस्तान, श्मशान घाट आदि के आसपास न जाएं.