मां कात्यायनी को देवी दुर्गा का छठा रूप माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कात्यायनी को ऋषि की पुत्री होने के कारण कात्यायनी नाम मिला था| पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महर्षि कात्यायन ने संतान प्राप्ति के लिए मां भगवती की कठोर तपस्या की। महर्षि कात्यायन की कठोर तपस्या से मां भगवती प्रसन्न हुई और उन्हें साक्षात दर्शन दिए। कात्यायन ऋषि ने मां के सामने अपनी इच्छा प्रकट की, इसपर मां भगवती ने उन्हें वचन दिया कि वह उनके घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेंगी
देवी कात्यायनी का स्वरूप
माता कात्यायनी चार भुजाधारी हैं जिनमें इनके एक भुजा में शत्रुओं का अंत करने वाला तलवार है तो दूसरी भुजा में पुष्प है जो भक्तों के प्रति इनके स्नेह को दर्शाता है। तीसरी भुजा अभय मुद्रा में है जो भक्तों को भय मुक्ति प्रदान कर रहा है। चौथी भुजा देवी का वर मुद्रा में है जो भक्तों को उनकी भक्ति का वरदान देने के लिए है।
मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था. जिस कारण मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को अपनी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है. इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है. मां दुर्गा के छठवें रूप की पूजा से राहु और कालसर्प दोष से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं.
देवी कात्यायनी की पूजा का मंत्र और लाभ
देवी कात्यायनी को ब्रजभूमि की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी जाना जाता है। ब्रजभूमि की कन्याओं ने श्रीकृष्ण के प्रेम को पाने के लिए इनकी आराधना की थी। भगवान श्रीकृष्ण ने भी देवी कात्यायनी की पूजा की थी। देवी कात्यायनी को मधुयुक्त पान अत्यंत प्रिय है। इन्हें प्रसाद रूप में फल और मिठाई के साथ शहद युक्त पान अर्पित करना चाहिए।
माता का प्रभाव कुंडलिनी चक्र के आज्ञा चक्र पर है। नवग्रहों में माता कात्यायनी शुक्र को नियंत्रित करती हैं। इनकी साधना और भक्ति से वैवाहिक जीवन के सुख की प्राप्ति होती है। जिनके विवाह में बाधा आ रही हो उनके विवाह की बाधा माता कात्यायनी दूर करती हैं। ‘चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना। कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनी॥‘ इस मंत्र से देवी का ध्यान करके नवरात्र के छठे दिन देवी की पूजा करनी चाहिए।
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके साफ- स्वच्छ कपड़े पहनें
मां दुर्गा की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें
माता को पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें.
माता को पुष्प अर्पित करें.
देवी मां को रोली और कुमकुम लगाएं.
देवी भगवती को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान चढ़ाएं
मां कात्यायनी को पूजा में शहद का भोग जरूर लगाएं.
इनको शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है. – मां को सुगन्धित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम सम्बन्धी बाधाएं भी दूर होंगी.
मां कात्यायनी की श्रद्धा भाव से आरती करें
मां कात्यायनी का मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
मां कात्यायनी की प्रार्थना
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥