कालीदास सम्मान समारोह में पुरस्कार की राशि में वृद्धि करने के निर्देश
वीर न्यास बनाए एक्सपीरियंशल और एक्टिविटी बेस्ड संग्रहालय
मुख्यमंत्री ने विक्रमोत्सव-2025 की रूपरेखा और कार्यक्रमों की समीक्षा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सांस्कृतिक अभ्युदय का एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश में होने वाले विक्रमोत्सव-2025 और अखिल भारतीय कालिदास समारोह को भव्य रूप में आयोजित किया जायेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन में आयोजन के दौरान अतिथियों और विद्यार्थियों को महाकाल देवदर्शन के साथ उज्जैन के इतिहास, विज्ञान, संस्कृति और मूल्यों से परिचय कराया जाये। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्रालय में विक्रमोत्सव-2025, अखिल भारतीय कालिदास समारोह और वीर भारत न्यास द्वारा निर्मित किए जा रहे संग्रहालय की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कालिदास संस्कृत अकादमी की केंद्रीय समिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कालिदास समारोह की शुरुआत गढ़कालिका मंदिर से शुरू होती है। कालिदास का गढ़कालिका मंदिर से संबंध और उसके महत्व पर शिलालेख स्थापित किया जाना चाहिए। साथ ही कालिदास से संबंधित अन्य स्थलों पर भी जन-सामान्य की जानकारी के बोर्ड भी लगाए जायें।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कालिदास सम्मान समारोह के दौरान दिए जाने वाले पुरस्कारों की जानकारी ली और पुरस्कारों की राशि में वृद्धि किए जाने के निर्देश दिये। समारोह में अतिथियों के आमंत्रण, कार्यक्रम स्वरूप, पुरस्कार और सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित अन्य व्यवस्थाओं पर विस्तृत चर्चा कर आवश्यक निर्देश दिए। कालिदास समारोह 12 से 18 नवंबर तक आयोजित किया जाएगा। इसकी शुरुआत 10 नवंबर से उज्जैन में गढ़कालिका मंदिर में वागअर्चन से होगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कालिदास समारोह की रूपरेखा को प्रेजेंटेशन के माध्यम से जाना।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कालिदास संस्कृत अकादमी का आयोजन हर वर्ष किया जाता है। इसमें अस्थाई स्ट्रक्चर की जगह स्थाई स्ट्रक्चर बनाया जाना चाहिए। इससे अस्थाई स्ट्रक्चर पर हर बार लगने वाले खर्चे में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि वर्ष भर होने वाले सांस्कृतिक आयोजन और रचनात्मक गतिविधियों को ध्यान में रखकर अधोसंरचना निर्माण का प्लान बनाए। उन्होंने कहा कि कालिदास समारोह की ब्रांडिंग और पब्लिसिटी पर विशेष ध्यान दें। कालिदास द्वारा मेघदूत में उज्जैन और महाकालेश्वर का विशेष उल्लेख किया गया है। महाकाल से जोड़कर इसका प्रचार करें, जिससे आयोजन की गरिमा में वृद्धि होगी।
विक्रमोत्सव 2025 की तैयारियों की समीक्षा बैठक
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गुड़ी पड़वा पर्व 30 मार्च को उज्जैन के साथ पूरे प्रदेश में विक्रम पर्व “सृष्टि आरम्भ दिवस” के रूप में मनाया जायेगा। संस्कृति विभाग प्रदेश और प्रदेश के बाहर भी आयोजन और उत्सव करता है, जिनकी बड़ी प्रतिष्ठा है। उज्जैन के विक्रमोत्सव ने अपनी एक अलग ही पहचान बनायी है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विक्रमोत्सव 2025 की तैयारियों की समीक्षा करते हुए आयोजन की रूपरेखा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, व्यापार मेला, प्रदर्शनी, विचार समागम पर आवश्यक निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगम में विज्ञान और खगोल विषय से जुड़े विशेषज्ञों को विक्रमोत्सव में आमंत्रित करें। इससे आयोजन की गरिमा बढ़ेगी और प्रदेश के युवाओं को भी इससे प्रेरणा मिलेगी। महोत्सव में होने वाले अखिल भारतीय कवि सम्मेलन को विक्रमादित्य पर केन्द्रित किया जाये और कवियों की कविताओं को लेखबद्ध करें।
बताया गया कि विक्रमोत्सव-2025 के पहले चरण का आयोजन महाशिवरात्रि से गुड़ी पड़वा तक उज्जैन में होगा। इसमें महाकाल शिवज्योति अर्पणम, विक्रम व्यापार मेला, मंदिरों में प्रभु श्रृंगार प्रतियोगिता, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, राष्ट्रीय वैज्ञानिक समागम, पौराणिक फिल्मों का अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव, विक्रम नाट्य समारोह, अंतर्राष्ट्रीय इतिहास समागम, प्रदर्शनी, प्रकाशन, अवार्ड, लोक प्रसिद्ध कलाकार की सांगीतिक प्रस्तुति आदि शामिल है।
विक्रमोत्सव के दूसरे चरण में पूरे प्रदेश में चलेगा “जल गंगा संवर्धन अभियान”
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि विक्रमोत्सव के दूसरे चरण में 30 मार्च से ही 30 जून-2025 तक पूरे प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत प्रदेश की नदियों, जल संरचनाओं के संरक्षण- संवर्धन का कार्य प्रदेश स्तर पर किया जायेगा। इस महती आयोजन का समापन गंगा दशहरा पर विगत वर्षानुसार विशिष्ट सांस्कृतिक आयोजन के साथ होगा।
मुख्यमंत्री द्वारा पहले शुरू किये गये विक्रमोत्सव को 2024 में Largest Religious Festival in Asia का wow अवार्ड भी मिला है। वर्ष 2023 में यह आयोजन 33 दिन का था जो वर्ष 2024 में 42 दिन का हुआ। इस वर्ष 2025 में यह आयोजन 101 दिन से अधिक का प्रस्तावित है। शुरू के वर्षों में महज यह सांस्कृतिक आयोजन भर था, लेकिन अब यह सामाजिक, सांस्कृतिक विरासत और विकास के बहुत से आयामों का आयोजन बन चुका है।
संभवतः देश में ऐसा कोई दूसरा आयोजन नहीं है, जिसमें कलश यात्रा, महाकाल शिवज्योति अर्पणम, विक्रम व्यापार मेला, अनादि पर्व, विचार समागम, मंदिरों में प्रभु श्रृंगार प्रतियोगिता, बोलियों का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, राष्ट्रीय वैज्ञानिक समागम, महादेव मूर्तिकला कार्यशाला, पौराणिक फिल्मों का अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव, विक्रम नाट्य समारोह, वेद अंताक्षरी, दैवज्ञ सम्मान समारोह, अंतर्राष्ट्रीय इतिहास समागम, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, सूर्योपासना, प्रदर्शनी, प्रकाशन, अवार्ड, लोक प्रसिद्ध कलाकार की सांगीतिक प्रस्तुति, भव्य आतिशबाजी आदि गतिविधियाँ एक साथ होती हो।
वीर भारत न्यास की बैठक
मुख्यमंत्री डॉ. ने वीर भारत न्यास की बैठक में कहा कि उज्जैन में नव-निर्माणाधीन संग्रहालय को एक साहित्य और पारंपरिक संग्रहालय की जगह एक्सपीरियंशल और एक्टिविटी बेस्ड संग्रहालय बनाने के प्रयास हो। नवीन तकनीक का उपयोग कर मनोरंजक तरीके से कंटेंट का निर्माण करें। युवा इस तरह संग्रहालय से जुड़ेंगे और देश में यह पर्यटन का केंद्र बनेगा। संग्रहालय में कंटेंट निर्माण पर सुझाव देने के लिए समिति गठित करें।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि संग्रहालय में दीर्घाओं के विषय के आधार पर संग्रहालय के नाम परिवर्तन पर भी विचार करें। संग्रहालय पर अध्ययन करने के लिए आने वाले शोधकर्ताओं के लिए रुकने सहित अन्य आवश्यक व्यवस्था बनाए। संग्रहालय के लिए प्रस्तावित सड़क निर्माण के लिए विशेषज्ञों और संगठनों के साथ मिलकर प्लान बनाया जाये।
संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री श्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी सहित उज्जैन से सांसद, जन-प्रतिनिधि और संस्कृति प्रेमी वीसी के माध्यम से जुड़े। कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री गौतम टेटवाल, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन श्री शिव शेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव श्री अनुपम राजन, श्री मनीष रस्तोगी सहित समिति के सदस्य उपस्थित रहें।