नई दिल्ली
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल करने के फैसले के बाद सभी की नजरें सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (SCWB) की 26 नवंबर को होने वाली मीटिंग पर टिक गई हैं। वक्फ बोर्ड विवादित जमीन मामले में मुख्य पक्ष है। आगामी मीटिंग में वक्फ बोर्ड ने अदालत के आदेश के उचित पालन के लिए जो कानूनी राय मांगी है, वह पेश की जाएगी। इसने पहले फैसले का स्वागत करके साफ कहा था कि वह पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा। वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘सबसे अहम मसला यह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने के लिए कौन से कदम उठाए जाने चाहिए।’
वक्फ बोर्ड मीटिंग में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन लेने के मुद्दे पर भी फैसला करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर और वक्फ बोर्ड को किसी अन्य जगह पर मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने का फैसला किया था। वक्फ बोर्ड के एक सूत्र ने बताया, ‘हम अदालत के फैसले के मुताबिक 5 एकड़ जमीन लेकर अयोध्या विवाद को खत्म करने के पक्ष में है। इसलिए वक्फ बोर्ड के लिए 26 नवंबर की मीटिंग सकारात्मक संदेश भेजने के लिहाज से अहम है।’
सेंटर ऑफ ऑब्जेक्टिव रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के डायरेक्टर और मुस्लिम स्कॉलर अतहर हुसैन इस मामले में वक्फ बोर्ड के रुख से सहमत हैं। उन्होंने कहा, ‘यह देश के मुस्लिमों के लिए नई शुरुआत है जहां 1991 के वरशिप एक्ट को संविधान के मूल ढांचे के रूप में शामिल किया गया है, जैसा 1971 के केशवनंद भारती बनाम सरकार के फैसले में परिभाषित किया गया है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि वक्फ बोर्ड मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन लेकर अयोध्या विवाद को खत्म कर देगा। हुसैन ने कहा, ‘अगर वक्फ बोर्ड पांच एकड़ ले लेता है तो यह अयोध्या विवाद को दफन करने में मदद करेगा।’