वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 4 फरवरी को सुबह 04 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 5 फरवरी को देर रात 02 बजकर 30 मिनट पर होगा. ऐसे में इस साल नर्मदा जयंती 4 फरवरी को पड़ रही है.
धर्म शास्त्रों में वर्णित पौराणिक कथाओं के अनुसार, माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मां नर्मदा का अवतरण हुआ था, इसलिए हर साल इस दिन नर्मदा जयंती मनाई जाती है और इस दिन नर्मदा नदी में स्नान किया जाता है.
धार्मिक मान्यता है कि नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं और शारीरिक-मानसिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है. ऐसा कहा जाता है कि मां नर्मदा की उपासना करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है. नर्मदा जयंती के इस शुभ अवसर पर मध्य प्रदेश के अमरकंटक में नर्मदा नदी के तट पर भव्या मेले का आयोजन किया जाता है.
नर्मदा नदी में स्नान का महत्व
नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.
धार्मिक मान्यता है कि नर्मदा नदी में स्नान करने से कालसर्प दोष भी दूर होता है.
नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी में चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा बहाने से कालसर्प दोष दूर होता है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नर्मदा नदी के हर कंकड़ को नर्वदेश्वर शिवलिंग के नाम से जाना जाता है.
नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक को नर्मदा जयंती मनाने के लिए बहुत पवित्र माना गया है.
नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने के बाद फूल, हल्दी और कुमकुम चढ़ाया जाता है.