भोपाल
राज्य वित्त आयोग की रिपोर्ट तीस नवम्बर तक आनी थी लेकिन यह रिपोर्ट अब तक नहीं आ सकी है। इसलिए राज्य सरकार के लिए बजट में किए जाने वाले प्रावधानों को लेकर अभी तक निकायों की आर्थिक स्थिति और केंद्र से मिली राशि का निकायों में उपयोग का मसला साफ नहीं हो सका है। ऐसे में केंद्र को सीधे रिपोर्ट जाने के बाद अब वहां से आने वाली जानकारी के उपरांत ही पंचायतों व निकायों के बजट में सुधार किए जाएंगे।
प्रदेश सरकार के वित्त वर्ष 2020-21 के बजट को लेकर बैठकों का दौर दिसम्बर से शुरू होने वाला है। इसको लेकर वित्त विभाग ने विभाग वार बजट प्रस्तावों की तारीख तय कर दी है ताकि अगले दो माह में हर स्तर पर चर्चा के बाद बजट निर्धारण प्रक्रिया को पूरा कर राज्य सरकार को जानकारी दी जा सके। इस बजट प्रक्रिया में वित्त आयोग की रिपोर्ट भी खासा मायने रखती है। सूत्रों का कहना है कि इसी के मद्देनजर आयोग की रिपोर्ट 30 नवम्बर तक आने की समय सीमा तय थी लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं आई है। अब दो दिन का समय बचा है। इसलिए माना जा रहा है कि अब आयोग की रिपोर्ट सीधे केंद्र सरकार को जाएगी और वहां से मिली जानकारी के आधार पर पंचायतों और निकायों के लिए आर्थिक स्तर पर बजट की व्यवस्था तय करने का काम हो पाएगा।
वित्त आयोग पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों की आर्थिक स्थिति की समीक्षा करने, निकायों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए कदम उठाने, राज्य की संचित निधि से पंचायती व शहरी निकायों को धन आवंटित करने तथा वित्तीय मुद्दों के संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करने का काम करता है। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को प्रदान की जानी वाली धनराशि का सदुपयोग, राज्य सरकार द्वारा लगाये गये कर, शुल्क, टोल, और अधिशुल्कों के नगर निकायों और पंचायती राज संस्थाओं की बीच आवंटन और निर्धारण की भी जिम्मेदारी आयोग के पास होती है। संविधान के अनुच्छेद 243-क का संबंध वित्त आयोग है जो पंचायतों के विशेष मूल्यांकन के लिए वित्तीय स्थिति समीक्षा करता है।