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राष्ट्रीय तानसेन सम्मान से अलंकृत हुए पंडित विद्याधर व्यास

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नाट्य संस्था “निनासम हेग्गोडु” को राजा मानसिंह तोमर राष्ट्रीय सम्मान
नई पीढ़ी को परम्पराओं से रूबरू कराना जरूरी : संस्कृति मंत्री डॉ साधौ

 

शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में दुनिया-भर में प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय तानसेन समारोह का मंगलवार शाम  भव्य एवं गरिमामय शुभारंभ हुआ। हजीरा स्थित संगीत सम्राट तानसेन के समाधि-स्थल पर सूर्य मंदिर की आभा से दमकते मंच पर आयोजित समारोह में कार्यक्रम की मुख्य अतिथि  संस्कृति मंत्री डॉ विजयलक्ष्मी साधौ ने ग्वालियर घराने के मूर्धन्य गायक पं. विद्याधर व्यास को वर्ष 2019 के तानसेन सम्मान से अलंकृत किया। कर्नाटक की नाट्य-संस्था नील कंठेश्वर नाट्य सेवा संघ (निनासम हेग्गोडु) के डायरेक्टर श्री के. वेंकटेश एवं सचिव श्री एन. नारायण भट्ट को राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान से विभूषित किया गया।  इस अवसर पर प्रमुख सचिव, संस्कृति, श्री पंकज राग,  और संभागीय आयुक्त
श्री एम.बी. ओझा उपस्थित थे।

  समारोह में संस्कृति मंत्री डॉ साधौ ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार मुख्यमंत्री  श्री कमलनाथ  के नेतृत्व में कला और संस्कृति को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। आज तकनीकी का युग है लेकिन हमें वर्तमान पीढ़ी को अपनी परम्पराओं और संस्कारों से रूबरू कराने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अनेकता में एकता हमारी भारतीय संस्कृति का मूल भाव रहा है। आज संस्कृति के माध्यम से इसे पोषित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हर विचारधारा का सम्मान होना चाहिए। मध्यप्रदेश सरकार इसी मंत्र के साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आज पंडित विद्याधर व्यास जी और ‘निनासम” का सम्मान करके वे खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहीं हैं। उन्होंने सम्मानित कलाकारों को मुख्यमंत्री श्री  कमलनाथ की ओर से  भी शुभकामनाएं  दी।

ग्वालियर संगीत का श्रेष्ठ घराना : पं. व्यास

  तानसेन समारोह से सम्मानित पं. विद्याधर व्यास ने  कहा  कि तानसेन सम्मान मिलने पर वे गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। वास्तव में यह ग्वालियर घराने की उस सुदीर्घ परंपरा का सम्मान है जो विष्णु दिगम्बर पलुस्कर से होती हुई हम तक पहुंची है। उन्होंने कहा कि कला को अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करना बहुत जरूरी है। ग्वालियर घराने में ये काम हो रहा है। ग्वालियर ख्याल गायकी परंपरा का सबसे पुराना घराना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ग्वालियर घराने की यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी। इस सम्मान से उन्हें आगे जाने की प्रेरणा भी मिलेगी।

 डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने  इसके पहले संगीत सम्राट तानसेन की समाधि पर श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। तत्पश्चात दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।  प्रमुख सचिव पंकज राग ने स्वागत भाषण दिया और सम्मानित विभूतियों का प्रशस्ति वाचन  किया। 

पं. रविशंकर के जीवन पर केंद्रित छायाचित्र प्रदर्शनी ‘प्रणति’ का शुभारंभ

इस अवसर पर विश्वविख्यात सितार वादक पं. रविशंकर के जीवन पर केंद्रित छायाचित्र प्रदर्शनी ‘प्रणति’ का  शुभारंभ किया गया। मुख्य अतिथि  संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ एवं  प्रमुख सचिव श्री पंकज राग  ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।  प्रदर्शनी में पं रविशंकर, उनके परिजनों और देश-विदेश में रह रहे उनके सांगीतिक मित्रों के साथ लिए गए छायाचित्र प्रदर्शित किए गए हैं। कई चित्र तो अत्यंत ही दुर्लभ हैं। एक छायाचित्र से पता चलता है कि पं रविशंकर शुरू के दिनों में नृत्य भी करते थे। ऐसे ही एक चित्र में वे लन्दन की सड़कों पर सितार लिए पैदल-पैदल जा रहे हैं। ऐसे अन्य दुर्लभ चित्र में वे यहूदी मेनुहिन और जॉर्ज हैरिसन, उस्ताद अमज़द अली खां, पं भीमसेन जोशी, उस्ताद अलाउद्दीन खां और पं किशन महाराज के साथ दिख रहे हैं। उनके कुछ छायाचित्र परिजनों के साथ भी हैं, जिनमें वे अपनी बड़ी बेटी सुकन्या, छोटी बेटी अनुष्का एवं बड़े भाई उदयशंकर के साथ हैं। पं. रविशंकर के जीवन पर केंद्रित छायाचित्रों की यह प्रदर्शनी उनके जन्म-शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में लगाई गई है। मंगलवार की शाम हज़ारों की तादाद में संगीत-रसिकों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और इसकी सराहना की।

  कार्यक्रम में सम्मानित कलाकार पण्डित विद्याधर व्यास ने राग “केदार” में ख्याल गायकी की प्रस्तुति दी।  शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के छात्र-छात्राओं ने ध्रुपद गायन, मोईनुद्दीन खां जयपुर ने सारंगी वादन एवं प्रेमकुमार मलिक प्रयागराज ने ध्रुपद गायन की प्रस्तुति दी ।