Home मध्य-प्रदेश आत्मनिर्भर स्वस्थ मध्यप्रदेश” के लिए स्वास्थ्य एवं शिक्षा सर्वोच्च प्राथमिकताएं

आत्मनिर्भर स्वस्थ मध्यप्रदेश” के लिए स्वास्थ्य एवं शिक्षा सर्वोच्च प्राथमिकताएं

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यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज” एवं “यूनिवर्सल इम्यूनाईजेशन ” के लक्ष्य को शीघ्र पूरा करेंगे: मुख्यमंत्री श्री चौहान
विपरीत परिस्थितियों में मध्यप्रदेश में हुआ कोविड नियंत्रण का अच्छा कार्य : केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत’ के सपने को पूरा करने के लिए ‘आत्मनिर्भर स्वस्थ मध्यप्रदेश’ की दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है। स्वास्थ्य एवं शिक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताएं हैं। इन विषयों पर आज आयोजित वेबिनार में आए सुझावों के आधार पर जो ‘गोल’ निर्धारित किए गए हैं, उन्हें हासिल करने के लिए सभी संभव प्रयास किए जाएंगे। मध्यप्रदेश में ‘यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज’ हर व्यक्ति को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा तथा ‘यूनिवर्सल इम्यूनाईजेशन’ प्रत्येक बच्चे का टीकाकरण के लक्ष्य को शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में डॉ. हर्षवर्धन का मार्गदर्शन मील का पत्थर साबित होगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आज आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं शिक्षा विषयों पर आधारित वेबिनार के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, लोक निर्माण मंत्री श्री गोपाल भार्गव, खेल एवं युवक कल्याण तथा तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती इमरती देवी, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभु राम चौधरी, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, पर्यटन संस्कृति तथा अध्यात्म मंत्री श्रीमती उषा ठाकुर, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम और विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ओमप्रकाश सकलेचा, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्री इंदर सिंह परमार, आयुष राज्य मंत्री (स्वंतत्र प्रभार) श्री रामकिशोर कांवरे, नीति आयोग के सदस्यगण तथा विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि जिस समय श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला, उस समय कोरोना संकट के चलते विकट स्थिति थी। महामारी का प्रदेश में प्रसार हो रहा था तथा उससे लड़ने की व्यवस्थाएं नहीं थीं। परन्तु मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दिन-रात एक कर कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण पाया। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी वे अस्पताल से कार्य की निरंतर मॉनीटरिंग करते रहे, इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के देश में ‘सबके लिए स्वास्थ्य’ के सपने को पूरा करने की दिशा में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने नेतृत्व में सराहनीय कार्य हो रहा है।

मध्यप्रदेश में टी.बी. नियंत्रण का अच्छा कार्य

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2025 तक देश से पूरी तरह टी.बी. रोग के उन्मूलन के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में मध्यप्रदेश में अच्छा कार्य हो रहा है। प्रदेश के देवास जिले के टी.बी. अधिकारी इसका उदाहरण हैं, जो घर-घर इस रोग की ट्रेकिंग कर रहे हैं तथा उन्होंने वर्ष 2022 तक टी.बी. उन्मूलन का लक्ष्य रखा है।

मध्यप्रदेश में साढ़े दस हजार ‘हैल्थ एण्ड वैलनेस सेंटर्स’

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मध्यप्रदेश में हैल्थ एण्ड वैलनेस सेंटर्स स्थापित करने की दिशा में भी उल्लेखनीय कार्य हो रहा है। प्रदेश में लगभग 10 हजार 500 हैल्थ एण्ड वैलनेस सेंटर्स बनने हैं जिसमें से अभी तक 2986 सेंटर्स बन गए है तथा लगभग एक करोड़ लोग इनके माध्यम से लाभान्वित हुए हैं। इन सेंटर्स में इलाज के अलावा योग, प्राणायाम आदि के माध्यम से सामान्य स्वास्थ्य अच्छा रखे जाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, जो कि सराहनीय है।

नवजात शिशुओं की अच्छी देखभाल

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने प्रदेश में नवजात शिशुओं की अच्छी देखभाल के लिए अस्पतालों में संचालित किए जा रहे एस.एन.सी. यू. (सिक न्यूबॉर्न केअर यूनिट) की सराहना की। उन्होंने प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम किए जाने के लिए सघन प्रयासों की आवश्यकता बताई।

आयुष्मान भारत योजना का प्रभावी क्रियान्वयन

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के प्रभावी क्रियान्वयन तथा ‘हैल्थ एण्ड वैलनेस सेंटर्स’ की सेवाओं के माध्यम से हर व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाई जाएगी। चिकित्सा की नई विधा ‘टैलीमैडीसिन’ का प्रदेश में अधिक से अधिक प्रसार किया जाएगा। प्रदेश में आयुष को अधिकाधिक महत्व दिया जाएगा तथा योग, प्राणायाम, प्राकृतिक चिकित्सा आदि के माध्यम से सामान्य स्वास्थ्य अच्छा रखे जाने की दिशा में कार्य किए जाएंगे।

6वीं से रोजगारोन्मुखी शिक्षा

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को प्रदेश में तत्परता के साथ लागू किया जाएगा तथा 6वीं कक्षा से ही बच्चे को व्यावसायिक एवं रोजगारोन्मुखी शिक्षा दी जाएगी। बच्चों की तकनीकी दक्षता बढ़ाने एवं कौशल विकास पर जोर दिया जाएगा।

मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस ने आभार प्रदर्शन किया। अपर मुख्य सचिव श्री मोहम्मद सुलेमान ने विषय प्रवर्तन किया।

स्वास्थ्य सेवाओं के 8 ‘गोल’ (लक्ष्य)

  1. हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच।

  2. मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम किया जाना तथा लाईफ एक्सपेक्टेंसी को बढ़ाना।

  3. स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत एवं सुदृढ़ करना।

  4. स्वास्थ्य संस्थानों का सम्मिलन (कन्वर्जेन्स)।

  5. हैल्थ मैनेजमेंट इर्न्फोमेशन सिस्टम (HMIS) तथा ‘इलेक्ट्रोनिक हैल्थ रिकार्ड’ को बढ़ावा देना।

  6. स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ की गुणवत्ता बढ़ाना।

  7. स्वास्थ्य सेवाओं में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अच्छा वातावरण निर्माण।

  8. बीमारियों से बचाव एवं जल्दी पहचान पर जोर।

तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास के 7 ‘गोल’ (लक्ष्य)

  1. ‘ग्रोस एनरोलमेंट रेशो’ को 4.5 प्रतिशत तक बढ़ाना।

  2. तकनीकी संस्थानों में ‘प्लेसमेंट रेट’ को बढ़ाना।

  3. शिक्षकों की नियमित भर्ती एवं कैडर प्रबंधन।

  4. प्रशिक्षण के लिए तकनीकी का प्रयोग तथा तकनीकी आधारित मूल्यांकन।

  5. उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार उनकी सहभागिता तथा पाठ्यक्रम।

  6. आवश्यक उपकरणों एवं प्रयोगशालाओं सहित महाविद्यालयों के ‘फ्यूचरिस्टिक कैम्पस’।

  7. वर्ष 2021 तक उद्यमिता गतिविधियों को बढ़ाना, स्टार्टअप्स को ग्रांट दिलाना तथा ‘इन्क्यूबेशन सेंटर्स’ की गतिविधियों को बढ़ावा देना।

उच्च शिक्षा के 5 ‘गोल’ (लक्ष्य)

  1. ‘ग्रोस एनरोलमेंट रेशो” को 25 प्रतिशत तक बढ़ाए जाना।

  2. ‘जैण्डर पैरिटी इंडेक्स’ (लिंग अनुपात सूचकांक) को 01 तक बढ़ाना।

  3. कॉलेजों में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं वेबसाइट पाठ्यक्रमों के लिए उद्योगों के साथ सहभागिता।

  4. शोध, अनुसंधान एवं रोजगारमूलकता बढ़ाने के प्रयास।

  5. महाविद्यालयों की रैकिंग तथा अधिमान्यता।

स्कूल शिक्षा के 3 ‘गोल” (लक्ष्य)

  1. देश में मध्यप्रदेश के लिए टॉप 10 एवं टॉप 05 स्थान।

  2. ‘अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थी मूल्यांकन’ कार्यक्रम में भाग लेना।

  3. बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों में सुधार। कक्षा दसवीं के परिणामों में 64 प्रतिशत से 74 प्रतिशत तक सुधार तथा कक्षा बारहवीं के परिणामों में 71 प्रतिशत से 77 प्रतिशत तक सुधार।

स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण बिन्दु

  • चार समूहों में 81 विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया।

  • स्वास्थ के क्षेत्र में आठ लक्ष्य निर्धारित।

  • यूनिवर्सल हेल्थ कव्हरेज, आईएमआर तथा एमएमआर में सुधार, स्वास्थ्य सुविधाओं का सुदृढीकरण , स्वास्थ्य संस्थाओं में परस्पर समन्वय, आईटी के उपयोग को बढ़ाना, मेडिकल स्टॉफ की क्षमतावृद्धि, शोध को प्रोत्साहन तथा बीमारी से बचाव को प्राथमिकता के लक्ष्य तय।

  • प्रदेश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने को प्राथमिकता।

  • राज्य बजट का आठ प्रतिशत स्वास्थ्य पर व्यय है।

  • लोगों को इलाज के लिए राज्य के बाहर न जाना पडे इसके लिए शहरों में ‘सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस’ तथा जिला अस्पतालों के विकास की योजना।

  • चिकित्सा शिक्षा तथा लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को मर्ज करने का सुझाव।

  • भोपाल व इन्दौर में ‘आयुष सुपर स्पेशलिटी अस्पताल’ विकसित होंगे।

  • प्रदेश में मेडिकल उपकरण निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए ‘बायो मेडिकल पार्क’।

  • चिकित्सा क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन।

कौशल उन्नयन के महत्वपूर्ण बिन्दु

  • उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार कोर्स विकसित हों।

  • तकनीकी संस्थाओं से प्रशिक्षितों की प्लेसमेंट के लिए रणनीति।

  • प्रशिक्षण तथा शोध के लिए विशेष पहल।

  • प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए विशेष कार्यक्रम।

  • प्रतिष्ठित संस्थान तथा विश्वविद्यालय होंगे ‘नॉलेज पार्टनर’ और ‘मैंन्टर’।

  • कृषि के क्षेत्र में नये व्यवहारिक पाठयक्रम।

  • भोपाल में बन रहे ‘ग्लोबल स्किल पार्क’ का उपयोग ।

उच्च शिक्षा के महत्वपूर्ण बिन्दु

  • उच्च शिक्षा में निजी क्षेत्र की संस्थाओं को प्रोत्साहन ।

  • वर्चुअल तथा स्मार्ट क्लासेस की व्यवस्था।

  • चयनित कॉलेजों का ‘क्वालिटी लर्निंग सैन्टर’ के रूप में विकास ।

  • संस्थाओं को कार्यात्मक स्वायत्ता।

  • ‘डिस्टेंस लर्निंग’ को प्रोत्साहन।

  • ‘एम.पी. नॉलेज कारपोर्रेशन’ की स्थापना।

स्कूल शिक्षा के प्रमुख बिन्दु

  • दस हजार स्कूल होगें रिसोर्स रिच जिन्हें ‘सीएम राईज स्कूल’ कहा जाएगा।

  • भाषा तथा गणित शिक्षा में सुधार के लिए ‘मिशन अंकुर’।

  • डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहन।

  • थर्ड पार्टी मूल्यांकन की व्यवस्था।

  • शिक्षक प्रशिक्षण पर होगा फोकस।

  • स्कूली बच्चों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग।

  • निजी स्कूलों को कम्पनीज एक्ट के तहत लाने की सिफारिश।