Home मध्य-प्रदेश जल, जंगल, जमीन और वन प्राणियों के रक्षक है आदिवासी समाज

जल, जंगल, जमीन और वन प्राणियों के रक्षक है आदिवासी समाज

359

प्राचीनकाल से आदिवासियों का जंगल एवं वन प्राणियों से गहरा लगाव रहा है। आदिवासी प्राचीनकाल से वन क्षेत्रों में निवास करते हुए जल, जंगल, जमीन और वन प्राणियों की रक्षा करते रहे है। इसे देखते हुए भारतीय संस्कृति में आदिवासियों को धरती पुत्र कहा गया है। आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश राज्य में 43 जनजाति समूह निवास करते है। जो मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या का 5वां हिस्सा है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में एक करोड़ 53 लाख के करीब जनजाति वर्ग की आबादी है।

देश में स्वतंत्रता के पश्चात केन्द्र सरकार ने आदिवासी वर्ग के उत्थान के लिये संवैधानिक सुरक्षा प्रदान की और संविधान में उनकी समस्याओं को दूर करने के लिये अनेक प्रावधान भी किये। इसी के अनुरूप मध्यप्रदेश में आदिवासी वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिये आदिवासी उपयोजना की रणनीति अपनाते हुए विभिन्न विकास विभागों के माध्यम से आर्थिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, सामाजिक उत्थान एवं अनेक विकास कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है। प्रदेश में जनजाति जनसंख्या के अनुपात में 21.09 प्रतिशत से अधिक बजट प्रावधान करके आदिवासी उपयोजना के अंतर्गत विभिन्न विभागों के माध्यम से योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को दिया जा रहा है। आदिवासी भाई-बहनों को राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की प्रक्रिया को सरल, सुगम एवं ऑनलाइन करने के लिये MPTAAS सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है।

आदिवासी वर्ग के शैक्षणिक विकास के लिये छात्रवृत्ति वितरण व्यवस्था को सुगम बनाया गया है। पिछले वर्ष 2019-20 में प्रदेश के करीब 25 लाख आदिवासी विद्यार्थियों को 465 करोड़ रूपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गयी। इस वर्ष छात्रवृत्ति का लाभ 27 लाख 57 हजार आदिवासी विद्यार्थियों को दिया जा रहा है। इसके लिये राज्य सरकार ने अपने विभागीय बजट में 475 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है। आदिम जाति कल्याण विभाग की 34 हजार 440 शैक्षणिक संस्थाओं में 25 लाख 64 हजार विद्यार्थी अध्यनरत् है। आदिवासी वर्ग के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के मकसद से आवासीय सुविधा के साथ 2629 छात्रावास आश्रम संचालित किये जा रहे है। इनमें डेढ़ लाख विद्यार्थियों की रहने की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में संचालित 126 विशिष्ठ संस्थाओं में करीब 27 हजार 586 अनुसूचित जनजाति विद्यार्थी अध्ययन प्राप्त कर रहे है। प्रदेश में इस वर्ष नवीन छात्रावास और उच्चत्तर माध्यमिक शाला के उन्नयन के लिये बजट में प्रावधान किया गया है। प्रदेश में वर्ष 2020-21 में अनुसूचित जनजाति के 24 सीनियर छात्रावास और 15 महाविद्यालयीन छात्रावास प्रारंभ किये जाएंगे। इस वर्ष आदिवासी बहुल्य क्षेत्र के 50 हाई स्कूलों को उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय में उन्नयन कर संचालित किया जाएगा।

आदिवासी वर्ग के ऐसे विद्यार्थी जिन्हें छात्रावासों में स्थान नहीं मिल पाता है। उनके लिये आवास सहायता योजना संचालित की जा रही है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन नगरों में प्रति विद्यार्थी प्रतिमाह 2 हजार रूपये, जिला मुख्यालय पर प्रति विद्यार्थी प्रतिमाह 1250 एवं तहसील विकासखण्ड मुख्यालय पर प्रति विद्यार्थी एक हजार रूपये की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। पिछले वर्ष आवास सहायता योजना में करीब 69 हजार विद्यार्थियों को 110 करोड़ रूपये की राशि वितरित की गयी। इस योजना में इस वर्ष आदिवासी वर्ग के 70 हजार विद्यार्थियों को 165 करोड़ रूपये वितरित किये जाएंगे। आदिवासी वर्ग के विद्यार्थी विदेशों में प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश कर अध्ययन कर सकें। इसके लिये विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति योजना चलाई जा रही है। योजना में चयनित विद्यार्थियों को दो वर्ष के लिये अधिकतम 75 लाख रूपये की राशि उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान रखा गया है। पिछले वर्ष 4 विद्यार्थियों को इस योजना में करीब 198 लाख रूपये की मदद दी गई। इस वर्ष योजना में 2 करोड़ 20 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। आदिवासी वर्ग के विद्यार्थी यूपीएससी की कोचिंग प्राप्त कर सकें इसके लिये नई दिल्ली में 100 विद्यार्थियों कोचिंग उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। इस वर्ष 100 विद्यार्थियों की कोचिंग पर 5 करोड़ रूपये का विभाग द्वारा प्रावधान किया गया है।

प्रदेश में रहने वाले आदिवासियों की संस्कृति के संरक्षण और उनके कुल एवं ग्राम देवी-देवता के स्थानों में निर्मित देवठान के निर्माण और जीर्णोद्धार पर विशेष व्यवस्था किये जाने के लिये 8 करोड़ 40 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। इस राशि से इन स्थानों पर सामुदायिक भवन, सभाकक्ष, पेयजल, विद्युत व्यवस्था आदि की जाएगी। राज्य सरकार द्वारा आदिवासी वर्ग के लिये चलाई जा रही योजनाओं का कम्प्यूटरीकरण कर ऑनलाइन लाभ देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। प्रोफाईल पंजीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 9 लाख 40 हजार आदिवासी हितग्राहियों का ऑनलाइन प्रोफाइल पंजीकरण किया गया है। पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में डीव्हीटी द्वारा उनके आधार लिंक बैंक खाते में भुगतान किये जाने की व्यवस्था की गयी है। आदिवासी वर्ग के 78 हजार 688 विद्यार्थियों को उनके बैंक खातों में 115 करोड़ रूपये की राशि ट्रांसफर की गयी है। शिक्षक प्रोफाईल पंजीकरण में अध्यापक संवर्ग के 55 हजार अध्यापकों का विभाग में ऑनलाइन संविलियन आदेश जारी किये गये है। छात्रावास योजना में विभाग के 1563 छात्रावासों में 57 हजार 274 विद्यार्थियों को करीब 75 करोड़ रूपये की राशि ऑनलाइन भुगतान के लिये ऑनबोर्ड की गई है। आकांक्षा योजना में आदिवासी वर्ग के विद्यार्थी जेईई, नीट और क्लेट की प्रवेश परीक्षा की तैयारी प्रदेश के चार महानगरों जबलपुर भोपाल ग्वालियर इंदौर में कर सकें। इसके लिये इस वर्ष एक हजार विद्यार्थियों को कोचिंग दिये जाने की व्यवस्था की गई है। इसके लिये 11 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।

आदिवासी वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये मध्यप्रदेश स्पेशल एण्ड रेसिडेंशियल एकेडिमिक सोसायटी का गठन किया गया है। इस सोसायटी में 126 विशिष्ठ आवासीय विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। इनमें 64 एकलव्य आदर्श आवासीय, 54 कन्या शिक्षा परिसर एवं 8 आवासीय विद्यालय है। इन आवासीय विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

सहरिया, बैगा और भारिया विशेष पिछड़ी जनजातियों के संरक्षण और विकास के लिये पोषण शक्ति, सोलर स्टेट लाईट, बैगा जनजाति महिलाओं के लिये आजीविका कार्यक्रम, हॉस्टल में अतिरिक्त सुविधाएँ, पीव्हीटीजी विकासखण्ड मुख्यालयों में 10 कम्यूनिटी सेंटर का निर्माण और हाई सेकण्डरी स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस की सुविधा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिये विभाग द्वारा इस वर्ष 140 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जाएगी। विभाग द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिये परिवार की महिला मुखिया के खाते में एक हजार रूपये की राशि प्रतिमाह राज्य सरकार द्वारा जमा कराई जा रही है। इस वर्ष इस योजना में 218 करोड़ रूपये खर्च किये जाएंगे।

राज्य सरकार अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी के हितों के प्रति सजग एवं संवेदनशील है। प्रदेश में वर्ष 2006 से अब तक दो लाख 30 हजार वन निवासियों को व्यक्तिगत और करीब 28 हजार सामूदायिक वन अधिकार पत्र वितरित किये गये है। वन अधिकार अधिनियम में पूर्व के निरस्त दावों के निराकरण के लिये एम.पी. वन मित्र सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। अब तक तक 20 हजार 830 ग्राम पंचायत सचिव की प्रोफाईल अपडेट की जा चुकी है। 36 हजार 711 ग्राम वन अधिकार समितियों को पोर्टल में दर्ज किया जा चुका है। ग्राम वन अधिकार समितियों द्वारा 2 लाख 56 हजार 491 पूर्व के निरस्त दावों का पुन: परीक्षण किया जा रहा है। उपखण्ड स्तरीय समितियों द्वारा परीक्षण के पश्चात 33 हजार 707 दावों का निराकरण कर अनुशंसा के साथ जिलास्तरीय समितियों को भेजा गया है। जिलास्तरीय समितियों द्वारा 4540 दावों का निराकरण कर 2136 दावों को मान्य किया गया है।

आदिवासी बाहुल्य जिलों में स्वास्‍थ्य, शिक्षा एवं अन्य क्षेत्रों को विकसित करने के लिये विशेष केन्द्रीय सहायता मद में इस वर्ष 292 करोड़ रूपये व्यय किये जाएंगे। इनमें बैतूल में 200 बिस्तर अस्पताल के लिये 5 करोड़, रूपये, बालिका छात्रावासों के लिये 7 करोड 78 लाख रूपये, शंकर शाह म्यूजियम की स्थापना के लिये 3 करोड़ रूपये और प्रदेश के 12 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में सीट वृद्धि और उन्नयन पर करीब 25 करोड़ रूपये की राशि व्यय की जाएगी।

राज्य सरकार आदिवासियों के हितों के संरक्षण के लिये कृत-संकल्पित है और इसी भावना के साथ उनके निरंतर विकास के लिये लगातार कार्य कर रही है।