Home मध्य-प्रदेश विश्वविद्यालय विकास के लिए एकजुट हो करें कार्य : राज्यपाल श्री पटेल

विश्वविद्यालय विकास के लिए एकजुट हो करें कार्य : राज्यपाल श्री पटेल

164

राज्यपाल विश्वविद्यालय कार्य-परिषद उन्मुखीकरण कार्यशाला में हुए शामिल
आभासी माध्यम से कार्य-परिषद सदस्यों को किया संबोधित

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि विश्वविद्यालय के विकास के लिए पदाधिकारियों और कार्य-परिषद के सदस्यों को एकजुट होकर कार्य करना चाहिए। सामूहिक प्रयासों की सफलता हाथ के साथ मन के मिलाप में है। विकास के लिए सबका साथ, विश्वास और प्रयासों का होना जरूरी है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा सिकल सेल एनीमिया की जाँच के प्रयासों पर हर्ष व्यक्त किया। उन्होंने निर्देशित किया कि जाँच में सिकल सेल रोगी अथवा वाहक छात्र-छात्राओं के परिजन की भी जाँच कराई जाए। ऐसा करने से इस आनुवांशिक रोग की रोकथाम में गति आएगी।

राज्यपाल श्री पटेल बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कार्य-परिषद सदस्यों की उन्मुखीकरण कार्यशाला को आभासी माध्यम से राजभवन भोपाल से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रतिभागियों से विश्वविद्यालय की गरिमा, गौरवशाली परंपराओं को सर्वश्रेष्ठ निष्ठावान योगदान से मज़बूत बनाने की अपेक्षा की।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि ज्ञान के मंदिर के प्रबंधन में सहभागिता का अवसर समाज-सेवा की ईश्वरीय सौगात है। सामाजिक प्रतिबद्धता, नवाचार एवं राष्ट्र निर्माण में विश्वविद्यालयों की भूमिका सुनिश्चित करना कार्य-परिषद सदस्यों का दायित्व है। जरूरी है कि कार्य-परिषद विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा, संगठनात्मक प्राथमिकताओं, सामाजिक प्रतिबद्धताओं के उच्च मानक निर्धारित करें। उनका वित्तीय निष्ठा, जवाबदारी, ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ पालन सुनिश्चित करें। विश्वविद्यालय का प्रबंधन शैक्षणिक, अनुसंधानात्मक गतिविधियों, विद्यार्थी हित और कर्मचारी-कल्याण के कार्य नियमों और सिद्धांतों के आधार पर करें। समयानुसार चुनौतियों और समस्याओं के समाधान के ईमानदार प्रयासों के लिए आवश्यक संशोधन भी किए जाने चाहिए।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि इन कार्यों की सफलता के लिए आवश्यक है कि कार्य-परिषद के सदस्य उच्च शिक्षा से संबंधित प्राथमिक सिद्धांतों, नीति, नियमों और समन्वय समिति के दिशा-निर्देशों की भावनाओं को समझ कर सामूहिक ज़िम्मेदारी के साथ कार्य करें। विश्वविद्यालय के प्रकरणों का पर्यवेक्षण, परीक्षण, नियंत्रण और निर्देशन, अधिनियम, परिनियम और विनियमों की सीमाओं में किया जाए। कार्य-परिषद में विचार के लिए आने वाले प्रस्तावों में से यदि किसी प्रस्ताव पर असहमति अथवा मत-भिन्नता है, तो ऐसे मामलों को सक्षम प्राधिकारी/फोरम के समक्ष उठाएँ। बिना किसी राग, द्वेष और पूर्वाग्रह के अपनी प्रखर क्षमता और दक्षता के साथ सामूहिक निर्णयों के पालन में योगदान दें।

राज्यपाल ने कहा कि कुलपतिगण को विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत जानकारी एवं स्पष्टीकरण की समीक्षा में कार्य-परिषद के सदस्यों की सहायता करनी चाहिए। उनके विचारों एवं प्रस्तावों को उचित सम्मान देते हुए उनकी बातों को गंभीरता से सुनकर समुचित रूप से विचार कर निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति से विश्वविद्यालयों को भौगोलिक सीमाओं से आगे बढ़ कर, एक बौद्धिक-सामाजिक संरचना के निर्माण और समाज की आकांक्षाओं के अनुरूप बदलती माँगों को पूरा करने में सक्षम भविष्य के निर्माण की कार्य-योजना प्रदान की है। नीति का पालन कर विश्वविद्यालय ज्ञान, कौशल के द्वारा विकास की आवश्यकताओं, चुनौतियों के समाधान के लिए सक्षम, दक्ष भविष्य की पीढ़ी और समाज का निर्माण कर सकते हैं।

कार्यशाला में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति श्री ए.के. पांडे ने कार्य-परिषद सदस्यों के अधिकारों और कर्त्तव्यों पर प्रकाश डाला। भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति श्री जयंत सोनवलकर ने कार्य-परिषद सदस्यों की भूमिका और उद्देश्यों की जानकारी दी। कुलपति देवी अहिल्या विश्वविद्यालय श्रीमती रेणु जैन ने विश्वविद्यालय विकास में योगदान की रूपरेखा बताई। कार्यशाला को कार्य-परिषद सदस्य अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय डॉ. मुकेश मिश्रा, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के श्री ओम प्रकाश शर्मा, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के डॉ. मनोज आर्य, विक्रम विश्वविद्यालय के श्री शैलेंद्र शर्मा और जीवाजी विश्वविद्यालय के अपर संचालक श्री एम.आर. कौशल ने भी संबोधित किया। विश्वविद्यालय के विकास के क्षेत्रों, आवश्यकताओं और अपेक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए भविष्य की संभावनाओं को इंगित किया। संचालन बरकतउल्ला विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. आर.जे. राव ने किया। उन्होंने बताया कि आभासी माध्यम से 150 सदस्य कार्यशाला से जुड़े हैं।