राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि मातृभूमि के लिए फना हो जाने वाले जवान देश का गौरव हैं। उन्होंने कहा कि सेना माँ भारती की ढाल बन कर जिन कठिन परिस्थितियों में सीमाओं की रक्षा और सेवा करती हैं। उसका दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है। माँ भारती के मान-सम्मान की रक्षा के लिए सेना के जवानों का समर्पण और वीरता दुनिया में मिसाल है।
राज्यपाल श्री पटेल आज द्रोणाचल में सुदर्शन चक्र कोर द्वारा स्वतंत्रता दिवस और आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हुए कार्यक्रम में भारतीय सेना के सैनिक, सम्मानीय सेवानिवृत्त सैनिक, वीरता पुरस्कार विजेता और उनके परिवारजन को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल द्वारा सेवानिवृत्त, सेवारत वीरों एवं वीरांगनाओं का सम्मान किया गया।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने सेना के जाबांजों की सराहना करते हुए कहा कि देश की रक्षा सेना के हाथों में और उनके मजबूत इरादों में है। इस पर देश को अटूट विश्वास है। देश निश्चिंत भी है। भारतीय सेना ने न केवल युद्ध के दौरान अपितु शांति के समय भी प्राकृतिक आपदाओं, आतंकवादियों को परास्त करने और देश की प्रगति में पूर्ण सहयोग दिया है। राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई है।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर इस वर्ष देश में “हर घर तिरंगा” अभियान से हर घर पर राष्ट्र ध्वज शान से फहराया गया। देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत तिरंगे के साथ भारतीयों के उत्साह और उमंग को देखकर मजबूत राष्ट्र के भविष्य का सपना साकार होता दिख रहा है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस तरह का सम्मान समारोह हमारी आने वाली पीढ़ी और युवाओं के लिए प्रोत्साहन और उत्साह का माध्यम साबित होगा। हमारे आने वाले कल को स्वर्णिम भारत की दिशा में अग्रसर करेगा।
सुदर्शन चक्र कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग श्री विपुल सिंघल ने कहा कि देश का झंडा शान से लहराता है, क्योंकि वह सैनिक की राष्ट्र के लिए समर्पित आखिरी साँस से लहराता है। उन्होंने कहा कि देश आजादी के समय के अल्प विकसित राष्ट्र से आज दुनिया के प्रमुख देशों में गिना जा रहा है। यह सेना के खून-पसीने की मेहनत से की जा रही देश की सुरक्षा ने सुनिश्चित किया है। सेना की जिम्मेदारियों के पालन में प्रशासन और आमजन के सहयोग के प्रति आभार ज्ञापित किया। जनरल ऑफिसर कमांडिंग पश्चिम मध्यप्रदेश उप क्षेत्र मेजर जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने आभार माना।