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मध्यप्रदेश केइस मंदिर में पांडव पुत्र अर्जुन ने की थी तपस्या, दर्शन के लिए दूर दूर से आते हैं भक्तमध्यप्रदेश के

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होलकर वंश की राजधानी महेश्वर से मात्र 13 किमी दूर आशापुर स्थित पांडवकालीन मां आशापुरी मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है।मध्‍य प्रदेश के खरगोन जिले में है |मां आशापुरी मंदिर|

मंदिर का इतिहास पांडव कालीन बताया जाता है. यहां पांडव पुत्र अर्जुन ने विध्यांचल पर्वत पर तपस्या करके माता को प्रसन्न करके वरदान प्राप्त किया था.मां आशापुरी माताजी का यह मंदिर पांडव कालीन है. इसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है. इसके साथ ही राजा मांधाता की यह कुलदेवी है. उनके वंशज आज भी आशापुरी माता के पूजन के लिए मंदिर आते है.इसके अलावा पृथ्वीराज सिंह चौहान सहित मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान के 28 गोत्र के लोग माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है

मंदिर में रखे शिलालेख के अनुसार पहले गुफा में माता विराजमान थी. 800 साल पहले मंदिर का पहली बार जीर्णोद्धार हुआ. इसके बाद दूसरी बार वर्ष 2012 में मंदिर को भव्य रूप प्रदान करने के लिए पुनः जनसहयोग से जीर्णोद्धार हुआ. आज मंदिर भव्य रूप में स्थापित है. मंदिर में मां आशापुरी के साथ महाकाली, महालक्ष्मी, सरस्वती, सात मात्रा देवी, नवग्रह देवता, श्रीगणेश जी, भगवान शिव और भैरव विराजित है.