Home मध्य-प्रदेश जनजातीय और लोक कलाओं का 39वाँ लोकरंग 26 जनवरी से प्रारंभ

जनजातीय और लोक कलाओं का 39वाँ लोकरंग 26 जनवरी से प्रारंभ

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गणतंत्र दिवस के अवसर पर जनजातीय और लोक कलाओं के 39वें राष्ट्रीय समारोह ‘लोकरंग’ का शुभारम्भ रवींद्र भवन परिसर में 26 जनवरी, 2024 को सायं 6:00 बजे होगा। संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित इस समारोह में पारम्परिक बहुवर्णी नृत्य, गायन-वादन, शिल्प और व्यंजन मेला पर केन्द्रित होगा। महान संत रविदास के जीवन और उनकी वाणी को समवेत नृत्य-नाट्य “संत रैदास” प्रस्तुति दी जायेगी, जिसके सूत्राधार प्रसिद्ध अभिनेता श्री गोविन्द नामदेव होंगे। साथ ही 27 से 29, जनवरी, 2024 दोपहर 02 बजे से विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन एवं प्रदर्शन किया जायेगा। समारोह में घुमन्तू समुदायों नट, रेवाड़ी, जोगी एवं गड़िया लोहार के डेरा (आवास) एवं घरेलू जीवनोपयोगी वस्तुओं का प्रदर्शन होगा। लोकवार्ता में संस्कृति विभाग के प्रकाशन, बतकही: पद्मश्री सुश्री जुधैया बाई के चित्रों की प्रदर्शनी, प्रतिरूप अंतर्गत मुखौटों की कार्यशाला, सांस्कृतिक परम्परा में साधु और सन्यासी विषयक संगोष्ठी भी आयोजित होगी। समारोह के अंतिम दिन 30 जनवरी को महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि के अवसर पर ख्यात गायिका सुश्री स्वाति मिश्रा, मुंबई अपने साथी कलाकारों के साथ गायन प्रस्तुति देंगी।

लोकराग-देशराग

‘लोकराग’ अंतर्गत 27 जनवरी प्रतिदिन 02 बजे से आंचलिक गायन में बुन्देली कछियाई गायन, मप्र, हरबोला गायन,महाराष्ट्र की प्रस्तुति होगी। 28 जनवरी, 2024 को बसदेवा गायन एवं निमाड़ी गायन,मध्यप्रदेश, 29 जनवरी, 2024 को डक्कलवार एवं पोतराज गायन,महाराष्ट्र, मालवी गायन, मप्र की प्रस्तुति का संयोजन किया जायेगा। देशराग अंतर्गत हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश की गायन प्रस्तुतियां होंगी। 27 जनवरी को शाम 06 बजे स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा वृंदगान, सिम्फनी, वाल्टज और भारतीय शास्त्रीय संगीत फ्यूजन, मयूरभंज छाऊ नृत्य की भी प्रस्तुति होगी।

धरोहर-देशान्तर

‘धरोहर’ में मध्यप्रदेश एवं अन्य राज्यों के जनजातीय एवं लोकनृत्यों का प्रदर्शन किया जायेगा। वहीं ‘देशान्तर’ में विदेशी सांस्कृतिक कलारूपों में संगीत एवं नृत्यों की प्रस्तुतियाँ होंगी। ‘धरोहर’ में इस बार मध्यप्रदेश सहित 14 राज्यों की नृत्य प्रस्तुति दी जाय़ेगी, जिसमें मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा,ओडिशा, कश्मीर, असम, कर्नाटक, हिमाचल, आन्ध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के नृत्यों की प्रस्तुति दी जायेगी। ‘देशान्तर’ में तीन दिवस ब्राजील, अर्जेन्टीना एवं बुल्गारिया के सांस्कृतिक दलों की प्रस्तुतियाँ होंगी।

शिल्प मेला

लोकरंग में विविध प्रकार के शिल्पों के मेले की एक विशिष्ट पहचान है। इस बार पारम्परिक शिल्पियों द्वारा शिल्प मेले में पारम्परिक शिल्पों की बिक्री व प्रदर्शन किया जायेगा।

स्वाद

लोकरंग के विशाल परिसर में एक आकर्षण व्यंजन मेले का भी है। इस बार करीब 15 जनजातीय और क्षेत्रीय व्यंजनकार भाग लेकर अपने व्यंजनों को प्रस्तुत करेंगे, जिसमें भील, गोंड, बैगा,कोरकू, मालवी, चंबल,बुंदेली, निमाड़ी,मराठी व्यंजन होंगे।

उल्लास

इसके अंतर्गत मलखम्भ, बहरूपिया, नट कला, कठपुतली प्रदर्शन होगा। इसके अलावा और भी कई छोटे-छोटे आयामों में बच्चों के मनोरंजन, ज्ञान एवं आनंद के उपक्रम किए जायेंगे।