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शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की सही विधि क्या है,जानें बेलपत्र चढ़ाने का नियम, मंत्र,|

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बेलपत्र चढ़ाने से क्यों भगवान शिव हो जाते हैं प्रसन्न,और उनको बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है

मान्यता है कि बेलपत्र के बिना शिव पूजा अधूरी है। आइए जानते हैं आखिर बेलपत्र चढ़ाने से महादेव शीघ्र क्यों प्रसन्न हो जाते हैं, इसके पीछे एक पौराणिक कथा है|

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष निकलने से समस्त संसार उसके ताप को सहन करने में असमर्थ हो गया था। देवता और दानव भी परेशान हो गए थे। तब सभी ने भगवान शिव की आराधना कि और उनसे हलाहल विष के निवारण हेतु मदद मांगी। तब भगवान शिव ने उस हलाहल विष से सभी को मुक्ति दिलाने के लिए उसे पी लिया। विष का ताप इतना था कि उसका प्रभाव कम नहीं हुआ और महादेव का कंठ नीला पड़ गया। तब देवताओं ने महादेव को बेलपत्र और जल अर्पित किया। बेलपत्र के प्रभाव से विष का ताप कम होने लगा। बेलपत्र दरअसल ताप को कम करने में सहायक होता है। देवताओं के बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव का ताप कम हुआ और उन्होंने प्रसन्न होकर सभी को आशीर्वाद दिया कि अब से जो भी मुझे बेलपत्र अर्पित करेगा उसकी मैं हर मनोकामना पूरी करूंगा। तभी से भगवान शिव या उनका एक स्वरूप शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा चलती चली आ रही है।

जब भी आप शिवजी की पूजा करने जाएं तो उससे पहले बेलपत्र को अच्छे से साफ पानी से धो लें. फिर बेलपत्र की चिकनी सतह को शिवलिंग से स्पर्श कराकर अर्पित करें. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करें. इसके अलावा बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र भी है.

बेलपत्र 3 पत्तियों वाला हो और वो साबुत हो यानि कटा-फटा न हो. उस पर कोई दाग-धब्बा भी न हो और न ही वो मुरझाया हो. 1, 5, 11, 21 आदि संख्या में बेलपत्र शिवजी को चढ़ाते हैं. यदि बेलपत्र आपके पास नहीं है तो शिवलिंग पर चढ़ाएं गए ​बेलपत्र को धोकर भी चढ़ा सकते हैं.

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र
नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो
दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥

दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌।
अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥