सनातन धर्म में एकादश का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस विशेष दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। सभी वैष्णव इस दिन का व्रत रखते हैं और मंत्रों का जाप करके भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं जो जातक एकादशी के दिन श्री हरि की पूजा करते हैं उन्हें जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहा जाता है. विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करना हर काम में सफलता दिलाता है.
विजय एकादशी के पीछे की कथा एवं महत्तव
धार्मिक मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने से विजय की प्राप्ति होती है. भगवान राम ने लंका अधिपति रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए ऋषि बकदाल्भ्य के कहने पर विजया एकादशी का व्रत रखा था. एकादशी का व्रत के प्रभाव के कारण भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्त करने में मदद मिली थी.भगवान राम ने रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया. उसके बाद भगवान राम माता सीता के साथ अयोध्या लौट गए.
विजया एकादशी पूजा विधि
विजया एकादशी के दिन दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल मिश्रित पानी से स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें। अब सूर्य देव को जल अर्पित करें। चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर कर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। इसके पश्चात उन्हें पीले रंग का फल, फूल आदि विशेष चीजें अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें। अब श्री हरि से सुख, समृद्धि की कामना करें। भगवान को खीर और मिठाई का भोग लगाएं। भोग तुलसी दल में शमिल करें। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
तिथि और शुभ मुहूर्त
- विजया एकादशी- 6 मार्च 2024 दिन बुधवार
- कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि प्रारंभ- 6 मार्च 2024 दिन बुधवार सुबह 6 बजकर 30 मिनट से शुरू।
- कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि समापन- 7 मार्च 2024 दिन गुरुवार सुबह 4 बजकर 13 मिनट पर समाप्ति।