नई दिल्ली
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे की सेशल अदालत ने गौतम नवलखा की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी है. इसके बाद गौतम नवलखा ने हिरासत में लिए जाने से तीन दिनों की छूट की मांग की. अदालत ने उनकी इस याचिका को भी ख़ारिज कर दिया. पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफ़आईआर से पहले गौतम नवलखा को लोग एक पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर जानते थे. हालांकि ये एफ़आईआर 8 जनवरी, 2018 को दर्ज हुई थी लेकिन गौतम नवलखा का नाम इसमें सात महीने बाद 22 अगस्त को जोड़ा गया.
क्या है भीमा कोरेगांव मामला
मराठा सेना और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए युद्ध की 200वीं सालगिरह के मौक़े पर 31 दिसंबर, 2017 के दिन ‘भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान’ के बैनर तले कई दलित संगठनों ने मिलकर एक रैली आयोजित की थी. इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ़ से महार रेजीमेंट लड़ रही थी जिसमें ज़्यादातर दलित सैनिक थे.