राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने आज राजभवन परिसर में ‘सांदीपनि ऑडिटोरियम’ का उदघाटन करते हुए सांदीपनि आश्रम के बारे में विस्तार से बताया। राज्यपाल ने बताया कि वहाँ बिना भेदभाव के सबको समान शिक्षा मिलती थी। उस समय भारतीय शिक्षा प्रणाली पेपरलेस थी, श्रुति और स्मृति पर आधारित थी। भारतीय ज्ञान केन्द्रों को नष्ट करने के अनेक प्रयासों बाद भी उनका पुर्नलेखन होता रहा है। राज्यपाल ने कहा कि अभी भी प्राचीन पांडुलिपियां बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं। उनके डिजिटलाइजेशन के प्रयास किए जाने चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय शिक्षा के प्रतीक ऋषि सांदीपनि के नाम पर ऑडिटोरियम का नामकरण किये जाने के पीछे मंशा यह है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली के प्रति विद्जनों में जिज्ञासा उत्पन्न हो। वे उसके पुनर्जागरण के प्रति प्रेरित हों। ऐसी शिक्षा प्रणाली का विकास हो, जो समग्र शिक्षा दे, जैसी प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली में मिलती थी। उन्होने विद्जनों के समक्ष प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली पर आधारित मंचीय कार्यक्रम आयोजित किये जाने के लिये कहा।
राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि भारत में तक्षशिला और नालंदा जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय थे। अंवति (उज्जैन) शिक्षा का बहुत बड़ा केन्द्र था। प्राचीन भारत की समकालीन मिस्त्र, रोम और यूनानी संस्कृतियों के भग्नावशेष तो हैं, मगर संस्कृति लुप्त हो गई हैं, जबकि भारतीय संस्कृति की जीवंतता आज भी कायम है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सांस्कृतिक विरासत के मामले में सम्पन्न राज्य है। ओरछा में राजाराम हैं, तो उज्जैन में ऋषि सांदीपनि, जिनसे श्रीकृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने कहा कि प्रचलित ज्ञान और मान्यताओं के प्रति दुनिया का दृष्टिकोण बदल रहा है। यह माना जा रहा है कि सदियों से जो विचार प्रचलित हैं, उनमें कुछ सत्यता होगी। इसी आधार पर शोध अनुसंधान भी हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने विलंब की समस्त बाधाओं को दूर करवाकर ऑडिटोरियम का निर्माण पूर्ण करवा दिया। उन्होंने सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह को भी उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई दी।
राजभवन में 26 नवम्बर को मनेगा संविधान दिवस
राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि 26 नवम्बर को राजभवन में ‘संविधान दिवस’ का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संविधान देश का गुरू है। जब भी हम भटकते हैं, तो संविधान ही हमारा मार्गदर्शन करता है। यह कार्यक्रम भी गुरूपूजन के भाव से किया जाएगा। कार्यक्रम में संविधान विशेषज्ञों के विचार आमंत्रित किए जाएंगे। कार्यक्रम में प्रदेश के उच्च न्यायालय की सभी खण्डपीठों के न्यायाधीश और न्यायविद् शामिल होंगे।
सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि ऑडीटोरियम के निर्माण से राजभवन की वर्षों से लंबित आवश्यकता की पूर्ति हुई है। राजभवन में संवैधानिक प्रमुखों के शपथ ग्रहण के कार्यक्रम खुले में होने से मौसम के व्यवधान की आशंका बनी रहती थी। ऑडीटोरियम बनने से यह समस्या समाप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि विकास के प्रति राज्यपाल की विशेष रूचि है। उत्तर प्रदेश में नगरीय प्रशासन मंत्री के रूप में श्री टंडन की उपलब्धियों की पूरे देश में सराहना होती थी। डॉ. गोविन्द सिंह ने आशा व्यक्त की कि राज्यपाल श्री टंडन को मार्गदर्शन में प्रदेश निरंतर प्रगति करेगा।
कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा ने ऋषि सांदीपनि के जीवन पर प्रकाश डाला। आभार राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे ने किया।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय शिक्षा के प्रतीक ऋषि सांदीपनि के नाम पर ऑडिटोरियम का नामकरण किये जाने के पीछे मंशा यह है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली के प्रति विद्जनों में जिज्ञासा उत्पन्न हो। वे उसके पुनर्जागरण के प्रति प्रेरित हों। ऐसी शिक्षा प्रणाली का विकास हो, जो समग्र शिक्षा दे, जैसी प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली में मिलती थी। उन्होने विद्जनों के समक्ष प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली पर आधारित मंचीय कार्यक्रम आयोजित किये जाने के लिये कहा।
राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि भारत में तक्षशिला और नालंदा जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय थे। अंवति (उज्जैन) शिक्षा का बहुत बड़ा केन्द्र था। प्राचीन भारत की समकालीन मिस्त्र, रोम और यूनानी संस्कृतियों के भग्नावशेष तो हैं, मगर संस्कृति लुप्त हो गई हैं, जबकि भारतीय संस्कृति की जीवंतता आज भी कायम है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सांस्कृतिक विरासत के मामले में सम्पन्न राज्य है। ओरछा में राजाराम हैं, तो उज्जैन में ऋषि सांदीपनि, जिनसे श्रीकृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने कहा कि प्रचलित ज्ञान और मान्यताओं के प्रति दुनिया का दृष्टिकोण बदल रहा है। यह माना जा रहा है कि सदियों से जो विचार प्रचलित हैं, उनमें कुछ सत्यता होगी। इसी आधार पर शोध अनुसंधान भी हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने विलंब की समस्त बाधाओं को दूर करवाकर ऑडिटोरियम का निर्माण पूर्ण करवा दिया। उन्होंने सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह को भी उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई दी।
राजभवन में 26 नवम्बर को मनेगा संविधान दिवस
राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि 26 नवम्बर को राजभवन में ‘संविधान दिवस’ का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संविधान देश का गुरू है। जब भी हम भटकते हैं, तो संविधान ही हमारा मार्गदर्शन करता है। यह कार्यक्रम भी गुरूपूजन के भाव से किया जाएगा। कार्यक्रम में संविधान विशेषज्ञों के विचार आमंत्रित किए जाएंगे। कार्यक्रम में प्रदेश के उच्च न्यायालय की सभी खण्डपीठों के न्यायाधीश और न्यायविद् शामिल होंगे।
सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि ऑडीटोरियम के निर्माण से राजभवन की वर्षों से लंबित आवश्यकता की पूर्ति हुई है। राजभवन में संवैधानिक प्रमुखों के शपथ ग्रहण के कार्यक्रम खुले में होने से मौसम के व्यवधान की आशंका बनी रहती थी। ऑडीटोरियम बनने से यह समस्या समाप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि विकास के प्रति राज्यपाल की विशेष रूचि है। उत्तर प्रदेश में नगरीय प्रशासन मंत्री के रूप में श्री टंडन की उपलब्धियों की पूरे देश में सराहना होती थी। डॉ. गोविन्द सिंह ने आशा व्यक्त की कि राज्यपाल श्री टंडन को मार्गदर्शन में प्रदेश निरंतर प्रगति करेगा।
कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा ने ऋषि सांदीपनि के जीवन पर प्रकाश डाला। आभार राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे ने किया।