नई दिल्ली,रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने सलाह दी है कि बैंकों को बैड लोन, फ्रॉड और इन सबसे होने वाले नुकसान के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देनी चाहिए. एन एस विश्वनाथन का कहना है कि अगर बैंक इनका खुलासा समय पर नहीं करते हैं तो रिस्क लेने की क्षमता घटेगी. इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि वैश्विक स्तर पर बैंकों के लिए कॉरपोरेट गवर्नेंस पर नए नियम लागू किए जा रहे हैं.
विश्वनाथन ने कहा, ”बासेल समिति (जहां दुनिया भर के बैंकर्स रणनीतियों पर चर्चा करते हैं) का कॉर्पोरेट प्रशासन पर अपना एक फ्रेमवर्क है, हम इसे अधिक बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं.” एनएस विश्वनाथन ने आगे बताया कि पूर्व में ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब रिजर्व बैंक के निरीक्षण में कई बैंकों के एनपीए का खुलासा हुआ है. ऐसे में बैंकों को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए रेगुलेटरी के नियमों से इतर सोचना होगा. इसके साथ ही बैंकों को एनपीए, बैड लोन और अन्य मापदंडों पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी देनी चाहिए.
6 महीने में बैंकों के साथ 95,700 करोड़ का फ्रॉड
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बैंकों के फ्रॉड के आंकड़े जारी हुए हैं. हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन को बताया है कि सिर्फ 6 महीने में बैंकों के साथ 95,700 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी हुई है.
हालांकि वित्त मंत्री का यह भी कहना है कि बैंकों में धोखाधड़ी की घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक उपाय किए गए हैं. इसी के तहत 3.38 लाख निष्क्रिय कंपनियों के बैंक खातों पर रोक लगाई गई है. लेकिन सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बैंकों का नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) बढ़ रहा है.