चेन्नै
मद्रास हाई कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि तमिलनाडु में हजारों करोड़ों का मंदिर का भूखंड भगवान के अधिकार में रहेगा। हाई कोर्ट ने इसी के साथ राज्य सरकार के विवादित आदेश पर रोक भी लगा दी जिसमें अधिग्रहीत जमीन को अतिक्रमण करने वालों को ही सौंपने का प्रस्ताव था।
दरअसल, अगस्त 30 को सरकार ने एक फरमान जारी किया था जिसमें पांच साल से अधिक समय से मंदिर की गैर-विवादित जमीन को नियमित करने को कहा गया था। मद्रास हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए तमिलनाडु सरकार को 20 जनवरी 2020 तक एक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया जिसमें कितने मंदिरों और जमीन के खंड की राज्य सरकार निगरानी कर रहा है, उनके सर्वे नंबर, इन जमीनों पर अतिक्रमण का ब्योरा, अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई और उनके खिलाफ ऐक्शन लेने में फेल होने वालो अधिकारियों की जानकारी हो।
जजों की पीठ ने कहा, ‘अतिक्रमण को जायज ठहराना मंदिर की प्रॉपर्टी के साथ छेड़छाड़ जैसा है और इस तरह का कोई भी कार्य जिसमें मंदिर की जरूरत के अलावा उसमें किसी तरह की तोड़फोड़ की जाए तो यह हिंदू भावनाओं को भड़काने जैसा होगा।’